Wednesday 3 October 2012

सच के साथ

तुम्हारी आवाज़
न हमें डरा सकती है
और न ही
हटा सकती है हमें
हमारे रास्ते से

ये आवाज़
सच की आवाज़ है
आम आदमी की आवाज़
जो धीमी ज़रुर है
पर दूर तलक जाती है
ये कान के पर्दे नहीं फाड़ती
बल्कि उसमें
मीठा रस घोल देती है

ये आवाज़
आँखों में सबके
ख़ूबसूरत सपनें जगाती है
ये आवाज़
आज के बच्चों को
कल के लिए
रास्ता दिखाती है
उन्हें जीना सिखाती है
ये आवाज़
झूठे खोखले वायदे नहीं देती
हौंसलें देती है

ये आवाज़
डरा देती है
बौख़लाहट पैदा कर देती है
बेईमानों और मक्कारों के दिल में
हलचल मचा देती है
जिन्होंने ज़िंदगी का मक़सद
लूट-खसोट समझ रखा है
जिन्हें लोगों की चीख़
सुनाई  नहीं देती
ये आवाज़
उन्हें आइना दिखाती है
सच का आइना
और वे काँपने लगते हैं
उल-ज़लूल हरकतें करने लगते हैं
मानो
मानसिक संतुलन खो बैठे हैं

इस आवाज़ के लिए
उन तमाम लोगों को मेरा सलाम
जिन्होंने
हिम्मत दिखाई
बावजूद इसके
कि शाम-दाम, दंड-भेद से
डराया और धमकाया भी गया
पर इतिहास गवाह है
सच पर चलने वाले लोग
डरते नहीं
क्योंकि सच के साथ
ख़ुदा भी खड़ा है  ।

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